आज दिनांक 3 सितंबर 2021 को आर एस ए के सिवान जिला प्रभारी अमरेश सिंह राजपूत ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि जयप्रकाश विश्वविद्यालय में जो सिलेबस सीबीसीएस के माध्यम से स्नातकोत्तर प्रथम खंड में पढ़ाया जा रहा है। वह सिलेबस राजभवन के द्वारा राज्य के सभी विश्वविद्यालय को दिया गया था। सीबीसीएस इसलिए लागू किया गया था कि राज्य के सभी विश्वविद्यालयों का सिलेबस एक हो। इसलिए इसमें संशोधन का अधिकार विश्वविद्यालय प्रशासन को था ही नहीं। ऐसी स्थिति में जिन्हें पढ़ने लिखने से मतलब नहीं है ।वही लोग बेमतलब के तमाशा खड़ा कर रहे हैं। जो सवाल उठा रहे हैं कि जयप्रकाश नारायण को सिलेबस से उनके विचारों को हटा दिया गया है। वह बतलाए केवल कि जयप्रकाश नारायण का आंदोलन जयप्रकाश के विचारों से प्रभावित था कि नहीं। अगर था उनके सामाजिक आंदोलन का पढ़ाई होना कहां से गलत है ? तथाकथित विद्वानों उच्च शिक्षा में राजनीति को इतना मत लाइए की उच्च शिक्षा बर्बाद हो जाए। जो लोग सवाल उठा रहे हैं वह क्या सब्जेक्ट के ज्ञाता है। राजभवन ने विद्वान शिक्षकों के माध्यम से सिलेबस तैयार करवाया और उसको राज्य के सभी विश्वविद्यालय पर लागू करवाया। 3 सालों तक सरकार को ध्यान नहीं गया। जिसको पढ़ने लिखने से मतलब नहीं है ।वही लोग सवाल उठा रहे हैं। असल में यह सवाल रामायण, महाभारत एवं चाणक्य नीति के पढ़ाने से बेचैनी बढ़ रही है। यही तुष्टीकरण की नीति इन लोगों की बर्बाद कर देगी । जो चीज स्नातक में पढ़ाया जा रहा है उसी चीज को स्नातकोत्तर में पढ़ाने का क्या तुक है। तथाकथित विद्वान लोग यह बतलाये की जेपी लोहिया को दर्शनशास्त्र विभाग में क्यों नहीं पढ़ना चाहिए, इतिहास विषय में मुगल काल के अकबर को पढ़ाना और महाराणा प्रताप को नहीं पढ़ाना कहां तक उचित है। इसके लिए यह विद्वान लोग क्यों नहीं आंदोलन करते हैं। जिनको जेपी से मतलब नहीं वही लोग केवल तुष्टीकरण की नीति के तहत जयप्रकाश विश्वविद्यालय एवं जे पी को बदनाम करने में लगे हैं। विश्वविद्यालय के गेट पर उर्दू पर नाम लिखा गया है और हिंदी को अंतिम पायदान पर ढकेल दिया गया है ।इसके लिए क्यों नहीं तथाकथित लोग आंदोलन चलाएं। यह जितने भी मेटर उठ रहे हैं तुष्टीकरण की नीति को बढ़ावा देने के लिए विश्व विद्यालय कैंपस को बदनाम करने के लिए ।इस तरह के घिनावना हरकत किया जा रहा है। हम लोग मांग करते हैं की जे पी के नाम पर जिस तरह से शोध संस्थान खुले हुए हैं। उस तरह वीर कुंवर सिंह के नाम पर भी शोध संस्थान खुले। महाराणा प्रताप के नाम पर भी शोध संस्थान खुले। छह विषयों में महाराणा प्रताप को पढ़ाया जाए ताकि राष्ट्र के प्रति एवं स्वाभिमान को जिंदा रखने के लिए छात्र- छात्रा शिक्षा ग्रहण कर सके। राजभवन में जो सीबीसीएस के माध्यम से सिलेबस बनाया है। स्नातकोत्तर का वह काबिले तारीफ है। कुछ संशोधन राजभवन कुछ विषयों में करें क्योंकि अभी सेमेस्टर वन का ही पढ़ाई हो रहा है। इसमें महाराणा प्रताप, वीर कुंवर सिंह ,मंगल पांडे के विचारों को छह विषयों में पढ़ाया जाए।
